Thursday, January 28, 2021

सफरनामा

 

सफरनामा




जिंदिगी एक सफर है इसे जिया करो ,

सुख दुःख है इसकी परिभाषा इसे कबूल करो ।

चलते रहो सदा तुम अपने तय मंजिल तक ,

वर्षा हो या आंधी हो या हो धुप कड़क ।

इस राह में आएंगे कई राही कई साथ छोड़ जायेंगे ,

पर तुम रुक गए तो तुमको सब कोष जायेंगे ।

हॅसो-रो सब करो अपने राही के संग तुम ,

पर ये सफर न थमने दो वर्ना खाख हो जाओ गए तुम ।

इस सफर में राह अनेक है पर तुम सफलता की राह चुनो ,

मेहनत और परिश्रम से अपना ध्वज कायम करो ।

अवसर बहुत है दिल ठंडा न करो ,

अपने पैरों पे फिर खड़े हो के चले चलो ।

सफरनामा को जीना ही जिंदिगी कहते है ,

बहते जाओ नदी की तरह स्थिर तो पत्थर रहते है ।

~आयुष कुमार

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